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आपकी नजरसे बस कुछ लेहरे होंगी
मेरे लिए तो आज भी वो एक समुन्दर है
आपकी नजरसे बस हादसा होगा ..
मेरे लिए आजभी वो एक तूफ़ान है ....
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कई अरसे हुए हमे खुदसे बात किये ।
जब वक्त आया तो पाया अल्फ़ाज़ रूठ गए ।
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उन जख्मों को हमने अब मरहम लगाना छोड़ दिया है ..
जिस रस्ते पे कभी हम थे मिले , उसपे आना जाना छोड़ दिया है ..
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न जाने कैसे , लेकिन अब दूरिया कुछ बढ़सी गई है ..
बात को शुरू कोन करे इसी बात पे बात अड़ी है ..
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इतनी भी जिद मत कर ये ज़िन्दगी , की हमें आपसे नफरत हो जाये
जो अगर नम होंगी आँखे हमारी , कही तुम्हारी हसरत ही न ख़त्म हो जाये
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सच तो हम दोनों के पास था , फर्क बस इतना था...
तुम्हारे सच को जबान थी , और मेरा खामोश था...
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इक आग थी उसकी आँखों में अभी ,
जो कभी दिल में हुआ करती थी
बस कुछ सांसे बचा ली थी खुदके लिए अभी ,
जो कभी किसी और के पास हुआ करती थी