Wednesday, October 6, 2021

कुछ शायराना अंदाज ...

 

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आपकी नजरसे बस कुछ लेहरे होंगी 

मेरे लिए तो आज भी वो एक समुन्दर है 

आपकी  नजरसे बस हादसा होगा ..

मेरे लिए आजभी वो एक तूफ़ान है ....


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कई अरसे हुए हमे खुदसे बात किये   

जब वक्त आया तो पाया अल्फ़ाज़ रूठ गए

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उन जख्मों  को हमने अब मरहम लगाना छोड़ दिया है ..

जिस रस्ते पे कभी हम थे मिले , उसपे आना जाना छोड़ दिया है ..


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जाने कैसे , लेकिन अब दूरिया कुछ बढ़सी गई है ..

बात को शुरू कोन  करे इसी बात पे बात अड़ी है ..


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इतनी भी जिद मत कर ये ज़िन्दगी , की हमें आपसे नफरत हो जाये 

जो अगर नम होंगी आँखे हमारी , कही तुम्हारी हसरत ही ख़त्म हो जाये 


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सच तो हम दोनों के पास था , फर्क बस इतना था... 

तुम्हारे सच को जबान थी , और मेरा खामोश था... 


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इक आग थी उसकी आँखों में अभी

जो कभी दिल में हुआ करती  थी 

बस कुछ सांसे बचा ली थी खुदके लिए अभी

जो कभी किसी और के पास हुआ करती थी 


बचपन

 मेरे बचपन ने आज आखिर पलट के सवाल पूछ ही लिया   क्या पाया ऐसा तूने जो मुझे ठीक से अलविदा भी न कह पाया  चंद सिक्खे थे जेब में ,  खनक उनकी महस...