Monday, April 11, 2022

बचपन

 मेरे बचपन ने आज आखिर पलट के सवाल पूछ ही लिया  

क्या पाया ऐसा तूने जो मुझे ठीक से अलविदा भी न कह पाया 


चंद सिक्खे थे जेब में ,  खनक उनकी महसूस करता था 

अब जेब नोटों से भरी है , लेकिन खनक को तूने खो दिया 


गर लगे कभी लोट कर आना है, गुजरा हुआ बचपन फिर से ढूंढना है 

तो मैं उसी मोड पे आज भी खड़ा हूँ , तेरे सपनो के कब्र पर मैं आज हर रोज़  फूल चढ़ाता हूँ 


Onkar 

बचपन

 मेरे बचपन ने आज आखिर पलट के सवाल पूछ ही लिया   क्या पाया ऐसा तूने जो मुझे ठीक से अलविदा भी न कह पाया  चंद सिक्खे थे जेब में ,  खनक उनकी महस...